Shaniwar Wada History
Shaniwar Wada History- महाराष्ट्र के पुणे शहर में स्थित एक ऐतिहासिक किला है, जो मराठा साम्राज्य के पेशवाओं की सत्ता का प्रतीक रहा है। इसका निर्माण 18वीं शताब्दी में पेशवा बाजीराव प्रथम द्वारा करवाया गया था। यह किला न केवल स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है, बल्कि इसके साथ जुड़ी अनेक ऐतिहासिक घटनाएं और रहस्यमयी कथाएं भी इसे विशेष बनाती हैं।
शनिवार वाड़ा का निर्माण
शनिवार वाड़ा का निर्माण कार्य 10 जनवरी 1730 को शुरू हुआ था और इसे 1732 में पूरा किया गया। इसका नाम ‘शनिवार’ (Saturday) और ‘वाड़ा’ (residence complex) शब्दों से मिलकर बना है। कहा जाता है कि इसका उद्घाटन शनिवार के दिन हुआ था, जो एक शुभ दिन माना गया। किले के निर्माण में जुनार के जंगलों से लाया गया सागवान, चिंचवड़ की खदानों से पत्थर और जेजुरी के चूने का उपयोग किया गया था। इसका कुल निर्माण खर्च उस समय ₹16,110 था, जो उस युग में एक बड़ी राशि मानी जाती थी। About Meenakshi Temple
स्थापत्य और संरचना
शनिवार वाड़ा का मूल स्वरूप सात मंजिला था, जिसमें पेशवाओं के आवासीय कक्ष, दरबार हॉल, नृत्य हॉल, दर्पण महल और सुंदर फव्वारे शामिल थे। इसका सबसे ऊपरी भाग ‘मेघदंबरी’ कहलाता था, जहां से आलंदी स्थित ज्ञानेश्वर मंदिर की चोटी दिखाई देती थी। किले में ‘हज़ारी करंजे’ नामक एक कमल के आकार का फव्वारा था, जिसमें 16 पंखुड़ियों से 80 फीट ऊंची जलधाराएं निकलती थीं।
Shaniwar Wada का प्रमुख द्वार
Shaniwar wada history के पांच प्रमुख द्वार हैं:
दिल्ली दरवाजा: मुख्य द्वार, जो उत्तर दिशा में दिल्ली की ओर मुख करता है। यह इतना विशाल है कि हाथी भी आसानी से प्रवेश कर सकते हैं। इस पर 72 लोहे की कीलें लगी हैं, जो आक्रमणकारियों को रोकने के लिए थीं।
मस्तानी दरवाजा: पेशवा बाजीराव की पत्नी मस्तानी के लिए विशेष रूप से बनाया गया द्वार।
खिड़की दरवाजा: इसमें एक बख्तरबंद खिड़की है, जिससे इसका नाम पड़ा।
गणेश दरवाजा: यह दरवाजा गणेश रंग महल के पास स्थित था और महिलाएं इसका उपयोग करती थीं।
नारायण दरवाजा: इस दरवाजे से नारायणराव पेशवा के शव को बाहर ले जाया गया था, इसलिए इसे यह नाम मिला।
Shaniwar Wada History ऐतिहासिक घटनाएं
शनिवार वाड़ा मराठा साम्राज्य की कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी रहा है। 1773 में, 16 वर्षीय पेशवा नारायणराव की हत्या उनके चाचा रघुनाथराव और चाची आनंदीबाई के षड्यंत्र के तहत की गई थी। कहा जाता है कि उनकी आत्मा आज भी ‘काका, मला वाचवा’ (चाचा, मुझे बचाओ) की पुकार लगाती है।
1818 में, पेशवा बाजीराव द्वितीय ने अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और बिठूर (वर्तमान उत्तर प्रदेश) में निर्वासन में चले गए। इसके बाद, 1828 में शनिवार वाड़ा में एक भीषण आग लगी, जो सात दिनों तक जलती रही। इस आग में अधिकांश संरचनाएं नष्ट हो गईं, केवल पत्थर की दीवारें और कुछ हिस्से ही शेष बचे।
वर्तमान स्थिति
आज shaniwar wada history एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जहां देश-विदेश से लोग इसकी भव्यता और इतिहास को देखने आते हैं। यह किला पुणे की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है और मराठा साम्राज्य की गौरवगाथा को दर्शाता है।
शनिवार वाड़ा न केवल एक स्थापत्य चमत्कार है, बल्कि यह मराठा साम्राज्य की शक्ति, राजनीति और संस्कृति का जीवंत उदाहरण भी है। इसकी दीवारों में छिपी कहानियां आज भी इतिहास प्रेमियों को आकर्षित करती हैं।
Shaniwar Wada Haunted Story
शनिवार वाडा: पुणे का एक ऐतिहासिक किला, जो आज भी रहस्यमयी और भूतिया घटनाओं के लिए प्रसिद्ध है। इस किले का shaniwar wada history मराठा साम्राज्य की राजनीति, विश्वासघात और त्रासदी से जुड़ा हुआ है, जो इसे भारत के सबसे डरावने स्थलों में से एक बनाता है।
शनिवार वाडा: एक पर्यटन स्थल
आज शनिवार वाडा एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जहां इतिहास प्रेमी और साहसिक पर्यटक आते हैं। किले की वास्तुकला, इतिहास और भूतिया कहानियां लोगों को आकर्षित करती हैं। हालांकि, रात में किले में प्रवेश की अनुमति नहीं है।
Shaniwar Wada History और निर्माण
शनिवार वाडा का निर्माण 1730 में पेशवा बाजीराव प्रथम ने करवाया था। इस किले का नाम ‘शनिवार’ (शनिवार) और ‘वाडा’ (घर) से मिलकर बना है, क्योंकि इसकी नींव शनिवार के दिन रखी गई थी। यह किला मराठा साम्राज्य की राजधानी के रूप में कार्य करता था और अपने समय में स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण था।
किले के निर्माण में जेजुरी से चूना, चिंचवड़ से पत्थर और जुन्नर के जंगलों से लाया गया सागौन का उपयोग किया गया था। इसकी लागत लगभग ₹16,110 आई थी। हालांकि, 1828 में एक भीषण आग ने किले के अधिकांश हिस्से को नष्ट कर दिया, और आज केवल इसके अवशेष ही शेष हैं।
नारायणराव पेशवा की हत्या: एक त्रासदी
Shaniwar Wada History की सबसे प्रसिद्ध और भयावह घटना 1773 में हुई, जब 16 वर्षीय पेशवा नारायणराव की हत्या कर दी गई। उनके चाचा रघुनाथराव और चाची आनंदीबाई सत्ता की लालसा में अंधे हो गए थे। रघुनाथराव ने गार्डी सैनिकों को एक पत्र भेजा, जिसमें लिखा था ‘नारायणराव ला धरा’ (नारायणराव को पकड़ो)। लेकिन आनंदीबाई ने इस पत्र को बदलकर ‘नारायणराव ला मारा’ (नारायणराव को मारो) कर दिया।
गार्डी सैनिकों ने किले पर हमला किया और नारायणराव को बेरहमी से मार डाला। कहा जाता है कि मरते समय नारायणराव चिल्ला रहे थे, ‘काका माला वाचवा’ (चाचा, मुझे बचाओ)। उनका शव टुकड़ों में काटकर नदी में बहा दिया गया, और अंतिम संस्कार नहीं किया गया। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, बिना अंतिम संस्कार के आत्मा मुक्त नहीं होती, जिससे नारायणराव की आत्मा किले में भटकती रही।
भूतिया घटनाएं और स्थानीय मान्यताएं
स्थानीय लोगों का मानना है कि shaniwar wada history में नारायणराव की आत्मा आज भी भटकती है। कई लोगों ने अमावस्या की रातों में ‘काका माला वाचवा’ की चीखें सुनी हैं। इन घटनाओं के कारण किला सूर्यास्त के बाद बंद कर दिया जाता है, और रात में वहां जाना मना है। कई पर्यटकों और स्थानीय निवासियों ने किले में अजीबोगरीब आवाजें, परछाइयां और असामान्य घटनाएं अनुभव की हैं। इन घटनाओं ने शनिवार वाडा को भारत के सबसे भूतिया स्थलों में से एक बना दिया है।
Shaniwar Wada Information In Marathi
शनिवार वाडा, पुणे शहर के हृदय में स्थित एक ऐतिहासिक दुर्ग है, जो मराठा साम्राज्य के गौरवशाली इतिहास का प्रतीक माना जाता है। इसका निर्माण 1732 में पेशवा बाजीराव प्रथम द्वारा करवाया गया था और यह पेशवाओं की राजधानी के रूप में प्रसिद्ध था। यह भव्य किला वास्तुकला की दृष्टि से अत्यंत सुंदर और प्रभावशाली था, जिसमें लकड़ी और पत्थर का अद्भुत संयोजन देखा जा सकता है। वाडे के विशाल दरवाजे, जैसे “दिल्ली दरवाजा”, उसकी भव्यता को दर्शाते हैं। कहते हैं कि यह किला कभी सात मंजिला था, लेकिन 1828 में भीषण आग लगने से इसका अधिकांश हिस्सा नष्ट हो गया।
आज केवल इसके अवशेष ही शेष हैं, लेकिन फिर भी यह पर्यटकों को अपनी ऐतिहासिक महत्ता और भूतपूर्व भव्यता का आभास कराता है। शनिवार वाडा न केवल मराठा इतिहास में बल्कि भारतीय विरासत में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसके साथ ही इससे जुड़ी कई रहस्यमयी और प्रेतात्मिक कहानियाँ भी इसे एक रोमांचक स्थल बनाती हैं। अगर आप पुणे जाएँ, तो शनिवार वाडा अवश्य देखें — यह अतीत की भव्यता का सजीव उदाहरण है।
10 Lines On Shaniwar Wada
शनिवार वाडा भारत के महाराष्ट्र राज्य के पुणे शहर में स्थित एक ऐतिहासिक दुर्ग है।
इसका निर्माण 1732 ईस्वी में पेशवा बाजीराव प्रथम ने करवाया था।
यह मराठा साम्राज्य की राजनीतिक शक्ति का प्रमुख केंद्र था।
वाडा भव्य स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण है, जिसमें लकड़ी और पत्थर का सुंदर संयोजन देखने को मिलता है।
इसके मुख्य दरवाजे को “दिल्ली दरवाजा” कहा जाता है, जो इसकी विशालता और शक्ति का प्रतीक है।
शनिवार वाडा में सुंदर फव्वारे, बाग-बगिचे और राजसी महल हुआ करते थे।
1828 में एक भीषण आग लगने से इसका अधिकांश भाग नष्ट हो गया था।
कहा जाता है कि इस वाडा में नारायणराव पेशवा की रहस्यमयी हत्या हुई थी, जिससे यह किला प्रेतवाधित भी माना जाता है।
आज यह स्थल एक प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षण बन चुका है और इतिहास प्रेमियों के लिए खास रुचि रखता है।
शनिवार वाडा मराठा गौरव और इतिहास की एक अमूल्य धरोहर है, जो आज भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है।
Shaniwar Wada Ticket Price- पुणे की ऐतिहासिक विरासत
पुणे शहर के मध्य स्थित शनिवार वाड़ा महाराष्ट्र के गौरवशाली इतिहास का प्रतीक है। यह भव्य किला पेशवा बाजीराव प्रथम द्वारा 1732 में बनवाया गया था। मराठा साम्राज्य की राजधानी के रूप में इस किले का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। यदि आप shaniwar wada history में रुचि रखते हैं या वास्तुकला के प्रेमी हैं, तो शनिवार वाड़ा आपके लिए एक परफेक्ट डेस्टिनेशन है।
शनिवार वाड़ा की टिकट जानकारी
अगर आप शनिवार वाड़ा घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो पहले इसकी टिकट जानकारी जानना जरूरी है। यहाँ हम आपको इसकी पूरी जानकारी दे रहे हैं:
🎟 प्रवेश शुल्क ( Shaniwar Wada History)
श्रेणी टिकट दर
भारतीय नागरिक ₹25 प्रति व्यक्ति
विदेशी पर्यटक ₹300 प्रति व्यक्ति
बच्चों के लिए (15 वर्ष से कम) निःशुल्क
लाइट एंड साउंड शो ₹25 से ₹50 (प्रति व्यक्ति)
💡 टिकट दरों में समय-समय पर परिवर्तन हो सकता है। नवीनतम जानकारी के लिए आधिकारिक वेबसाइट या टिकट काउंटर पर संपर्क करें।
🕒 शनिवार वाड़ा के समय
दिन समय
सोमवार से रविवार सुबह 8:00 बजे से शाम 6:30 बजे तक
लाइट एंड साउंड शो शाम 7:00 बजे से (मराठी) और 8:15 बजे से (अंग्रेज़ी)
🚩 Shaniwar Wada History- विशेष आकर्षण
भव्य दरवाज़े (दिल्ली दरवाज़ा, मस्तानी दरवाज़ा)
विशाल फव्वारे और उद्यान
ऐतिहासिक दीवार चित्र और नक्काशी
लाइट एंड साउंड शो – पेशवा इतिहास को जीवंत करता है
🛎 Shaniwar Wada History- सुझाव
सुबह या शाम के समय घूमना बेहतर होता है, खासकर गर्मियों में।
गाइड लेना फायदेमंद हो सकता है अगर आप इतिहास की गहराई में जाना चाहते हैं।
लाइट एंड साउंड शो जरूर देखें – यह अनुभव अत्यंत रोमांचक होता है।
शनिवार वाडा का इतिहास हमें सत्ता की लालसा, विश्वासघात और त्रासदी की याद दिलाता है। नारायणराव की हत्या और उनकी आत्मा की कहानियां इस किले को रहस्यमयी बनाती हैं। यह किला न केवल मराठा साम्राज्य के गौरवशाली अतीत का प्रतीक है, बल्कि उन घटनाओं का भी साक्षी है, जो आज भी लोगों के रोंगटे खड़े कर देती हैं।