History Of India

        भारत का इतिहास (History Of India) 

ईसा पूर्व 7वीं और शुरूआती 6वीं शताब्दि सदी में जैन और बौद्ध राजा अजातसत्तु वह पहली बार परिषद के संरक्षक बने (492 ईसा पूर्व – 460 ईसा पूर्व) राजा अजातसत्व पहली बार त्रिपिटक परिषद के संरक्षक बने। राजा अजातशत्रु ने 492 ईसा पूर्व में शासन किया और 460 ईसा पूर्व में उनकी मृत्यु हो गई, अर्थात् आज से लगभग दो हज़ार वर्ष पूर्व। त्रिपिटक की प्रथम बौद्ध परिषद उनकी मृत्यु के 9 महीने बाद आयोजित हुई, जिसे प्रथम बौद्ध युग माना जाता है। Kashi Vishwanath Mandir History

धार्मिक संप्रदायों ने लोकप्रियता हासिल की। ​​अशोक (265-241 ईसा पूर्व) इस युग का एक महत्वपूर्ण राजा था जिसका साम्राज्य अफगानिस्तान से मणिपुर और तक्षशिला से कर्नाटक तक फैला हुआ था। हालाँकि, वह पूरे दक्षिण तक नहीं पहुँच सका। दक्षिण में, चोल सबसे शक्तिशाली के रूप में उभरा। संगम साहित्य की शुरुआत भी इसी समय दक्षिण में हुई। भगवान गौतम बुद्ध के जीवनकाल के दौरान, 7वीं शताब्दी ईसा पूर्व और 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व की शुरुआत में, सोलह प्रमुख शक्तियाँ (महाजनपद) मौजूद थीं। अत्यधिक महत्वपूर्ण गणराज्यों में कपिलवस्तु के शाक्य और वैशाली के लिच्छवि थे।

गणराज्यों के अलावा, राजशाही राज्य भी थे, जिनमें कौशाम्बी (वत्स), मगध, कोसल, कुरु, पंचाल, चेदि और अवंती महत्वपूर्ण थे। इन राज्यों का शासन शक्तिशाली व्यक्तियों के हाथों में था, जिन्होंने राज्य विस्तार और पड़ोसी राज्यों के विलय की नीति अपनाई थी। तथापि गणराज्‍यात्‍मक राज्‍यों के तब भी स्‍पष्‍ट संकेत थे जब राजाओं के अधीन राज्‍यों का विस्‍तार हो रहा था। इसके बाद भारत छोटे-छोटे साम्राज्यों में बंट गया।

शारीरिक रूप से आधुनिक मानव पहली बार भारतीय उपमहाद्वीप में लगभग 73,000 और 55,000 साल पहले दिखाई दिए थे। दक्षिण एशिया में सबसे पुराने ज्ञात मानव अवशेष लगभग 30,000 साल पहले के हैं। दक्षिण एशिया में गतिहीन जीवन की शुरुआत लगभग 7000 ईसा पूर्व हुई; 4500 ईसा पूर्व तक, स्थायी समुदायों ने फैलना शुरू कर दिया था, अंततः सिंधु घाटी सभ्यता के विकास की ओर अग्रसर हुआ, जिसे पुरानी दुनिया में सभ्यता के तीन शुरुआती पालनों में से एक के रूप में पहचाना जाता है, जो 2500 ईसा पूर्व और 1900 ईसा पूर्व के बीच अब के पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिमी भारत में फली-फूली। दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व के शुरुआती भाग में, लंबे समय तक सूखे के कारण सिंधु घाटी की आबादी बड़े शहरी केंद्रों से छोटे गाँवों की ओर बिखर गई

भारत, जिसे प्राचीन काल में ‘भारतवर्ष’ और ‘आर्यावर्त’ के नाम से जाना जाता था, विश्व के सबसे पुराने सभ्यताओं में से एक है। इसका इतिहास अत्यंत गौरवशाली, समृद्ध और विविधतापूर्ण रहा है। यह भूमि न केवल सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से संपन्न रही है, बल्कि यहाँ की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक व्यवस्थाएँ भी समय के साथ विकसित होती गईं। भारत के इतिहास को मुख्य रूप से प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक काल में विभाजित किया जा सकता है।

Ancient History Of India
प्राचीन भारत का इतिहास सिंधु घाटी सभ्यता (लगभग 3300 ई.पू. – 1300 ई.पू.) से प्रारंभ होता है। यह सभ्यता आधुनिक पाकिस्तान और पश्चिमी भारत के क्षेत्रों में फैली हुई थी। हड़प्पा और मोहनजोदड़ो इसके दो प्रमुख नगर थे। यहाँ की नगर योजना, जल निकासी प्रणाली, व्यापार व्यवस्था और शिल्पकला बहुत उन्नत थीं।

इसके पश्चात वैदिक काल (1500 ई.पू. – 600 ई.पू.) आता है, जब आर्यों का आगमन हुआ और ऋग्वेद जैसे महान ग्रंथों की रचना हुई। यह काल मुख्यतः उत्तर भारत में फैला हुआ था और इसमें समाज चार वर्णों – ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र – में विभाजित था। वैदिक काल के उत्तरार्ध में महाजनपदों का उदय हुआ, जिनमें मगध, कोशल, अवंती, वत्स आदि प्रमुख थे।

छठी शताब्दी ईसा पूर्व में गौतम बुद्ध और महावीर जैन जैसे महान धर्मगुरुओं ने जन्म लिया और बौद्ध तथा जैन धर्म की स्थापना की। बौद्ध धर्म ने अहिंसा, करुणा और आत्मज्ञान पर बल दिया, जो समाज के बड़े वर्ग के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया।

मौर्य साम्राज्य (322 ई.पू. – 185 ई.पू.) भारत का पहला विशाल साम्राज्य था, जिसकी स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य ने की थी। उनके प्रधानमंत्री चाणक्य (कौटिल्य) ने अर्थशास्त्र जैसे अद्भुत ग्रंथ की रचना की। अशोक महान मौर्य वंश के सबसे प्रसिद्ध सम्राट हुए, जिन्होंने कलिंग युद्ध के पश्चात बौद्ध धर्म अपना लिया और धर्म प्रचारक बन गए। उनके द्वारा बनवाए गए स्तंभ और शिलालेख आज भी भारत की धरोहर हैं।

मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद गुप्त साम्राज्य (लगभग 320 ई. – 550 ई.) आया, जिसे भारत का “स्वर्ण युग” कहा जाता है। चंद्रगुप्त प्रथम, समुद्रगुप्त और चंद्रगुप्त द्वितीय जैसे महान शासकों के काल में कला, साहित्य, विज्ञान और गणित ने अद्वितीय प्रगति की। आर्यभट्ट और कालिदास जैसे विद्वान इसी युग में हुए।

मध्यकालीन  (History Of India)
गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद भारत में अनेक छोटे-छोटे राज्य स्थापित हो गए। इस काल में उत्तर भारत में राजपूतों का प्रभुत्व था, जिन्होंने मुस्लिम आक्रांताओं के विरुद्ध संघर्ष किया। 8वीं शताब्दी में अरबों ने भारत में प्रवेश किया, लेकिन उनका प्रभाव सीमित था।

11वीं शताब्दी में महमूद गजनवी और 12वीं शताब्दी में मोहम्मद गौरी ने भारत पर आक्रमण किया। मोहम्मद गौरी के सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1206 ई. में दिल्ली सल्तनत की स्थापना की, जिससे भारत में मुस्लिम शासन की शुरुआत हुई।

दिल्ली सल्तनत के पश्चात मुग़ल साम्राज्य (1526 ई. – 1857 ई.) की स्थापना बाबर ने पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहीम लोदी को हराकर की। अकबर, मुग़ल साम्राज्य का सबसे शक्तिशाली शासक था। उसने धार्मिक सहिष्णुता, प्रशासनिक सुधार और कला-संस्कृति को प्रोत्साहित किया। अकबर का दरबार ‘नवरत्नों’ से सुसज्जित था, जिनमें बीरबल, तानसेन और अबुल फज़ल जैसे महान व्यक्ति थे।

जहाँगीर, शाहजहाँ और औरंगजेब मुग़ल साम्राज्य के अन्य प्रमुख शासक थे। शाहजहाँ ने ताजमहल का निर्माण करवाया, जो आज भी भारत की पहचान है। औरंगज़ेब के शासनकाल में धार्मिक कट्टरता बढ़ी और साम्राज्य में असंतोष फैला। इसके पश्चात मुग़ल साम्राज्य धीरे-धीरे कमजोर होता गया।

मध्यकाल में दक्षिण भारत में विजयनगर साम्राज्य (1336–1646 ई.) भी बहुत प्रभावशाली था। इसका केंद्र कर्नाटक में था और यह सांस्कृतिक और व्यापारिक दृष्टि से अत्यंत उन्नत था। इसके अतिरिक्त मराठा शक्ति का भी उदय हुआ, जिसका नेतृत्व छत्रपति शिवाजी महाराज ने किया। उन्होंने मुग़लों के विरुद्ध संघर्ष किया और एक स्वतंत्र हिन्दवी स्वराज की स्थापना की।

Modern History Of India
18वीं शताब्दी के मध्य में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में अपने पाँव जमाने शुरू किए। प्लासी (1757) और बक्सर (1764) की लड़ाइयों ने अंग्रेजों की नींव मजबूत कर दी। ईस्ट इंडिया कंपनी ने धीरे-धीरे भारत के अनेक भागों पर नियंत्रण कर लिया।

1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम भारत का पहला बड़ा संगठित विद्रोह था, जिसे अंग्रेजों ने ‘सिपाही विद्रोह’ कहा। रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, नाना साहब और बहादुर शाह जफर जैसे वीरों ने इसमें भाग लिया। हालांकि यह विद्रोह असफल रहा, लेकिन इसके पश्चात अंग्रेजों ने भारत का शासन सीधे ब्रिटिश क्राउन के अधीन कर दिया।

19वीं शताब्दी में सामाजिक, धार्मिक और शैक्षिक सुधार आंदोलनों की शुरुआत हुई। राजा राममोहन राय, स्वामी विवेकानंद, दयानंद सरस्वती और ईश्वरचंद्र विद्यासागर जैसे समाज सुधारकों ने शिक्षा, नारी अधिकार और जातिवाद के खिलाफ आवाज उठाई। इस काल में भारतीय पुनर्जागरण की लहर आई।

1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई, जिसने स्वतंत्रता संग्राम को संगठित रूप दिया। शुरू में यह एक सुधारवादी संस्था थी, लेकिन धीरे-धीरे यह स्वतंत्रता की मांग करने लगी। बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय और बिपिन चंद्र पाल जैसे नेता “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है” का नारा लेकर सामने आए।

20वीं शताब्दी में महात्मा गांधी का उदय हुआ, जिन्होंने सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांतों के माध्यम से स्वतंत्रता आंदोलन को जन-जन से जोड़ा। जलियाँवाला बाग हत्याकांड (1919), असहयोग आंदोलन (1920), सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930), भारत छोड़ो आंदोलन (1942) जैसे आंदोलनों ने अंग्रेजों की नींव हिला दी।

नेता सुभाष चंद्र बोस ने आज़ाद हिंद फौज का गठन किया और “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा” का नारा दिया। उनके प्रयासों ने स्वतंत्रता संघर्ष को एक नई दिशा दी।

स्वतंत्र भारत (History Of India In Hindi)
15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ, लेकिन इसके साथ ही देश का विभाजन भी हुआ और पाकिस्तान का निर्माण हुआ। यह विभाजन अत्यंत पीड़ादायक था, जिसमें लाखों लोग विस्थापित हुए और हजारों की जान गई।

स्वतंत्रता के बाद भारत ने एक लोकतांत्रिक गणराज्य का स्वरूप अपनाया। 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू हुआ, जिसे डॉ. भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में तैयार किया गया। भारत ने पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से आर्थिक विकास की दिशा में कदम बढ़ाए।

भारत ने 1971 के युद्ध में बांग्लादेश की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1991 में आर्थिक उदारीकरण की नीति अपनाई गई, जिसने देश को वैश्विक अर्थव्यवस्था से जोड़ा।

आज भारत विश्व की सबसे बड़ी लोकतंत्र है और विज्ञान, अंतरिक्ष, तकनीकी, शिक्षा, कला और संस्कृति के क्षेत्रों में निरंतर प्रगति कर रहा है। चंद्रयान, मंगलयान जैसी अंतरिक्ष परियोजनाएँ, डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया जैसे कार्यक्रम भारत की आधुनिक पहचान हैं।

Ancient History Of India

अत्यारति के वंशजों को अरारत के नाम से जाना जाता था। उनका क्षेत्र आर्मेनिया था। अरारतियों ने असीरियन के खिलाफ़ महत्वपूर्ण लड़ाइयाँ लड़ीं। अरारत पर्वत का नाम अत्यारति के नाम पर रखा गया है। सीरिया में अध्राओत शहर का नाम भी उनके सम्मान में रखा गया था। उर के पुत्र अंगिरा ने अफ्रीका पर विजय प्राप्त की और वहाँ एक राज्य स्थापित किया। वह अंगिरा-पिकुना का निर्माता और विजेता था। अंगिरा और मन्यु की जीत और सैन्य अभियानों के विवरण ईरानी-हिब्रू धर्मग्रंथों में बड़े पैमाने पर दर्ज हैं। उनके व्यापक और भयानक आक्रमणों से अभिभूत होकर, ईरान के लोग उन्हें दुष्ट देवता, दुख लाने वाले अहिरमन और शैतान के रूप में संदर्भित करने लगे। अवेस्ता में, उन्हें अंगिरामन और अहिरमन के रूप में संदर्भित किया जाता है। बाइबिल में, उन्हें शैतान कहा जाता है। मिल्टन के “पैराडाइज़ लॉस्ट” में, इस विजेता को शैतान के रूप में भी संदर्भित किया जाता है। पश्चिमी देशों के ऐतिहासिक ग्रंथ इन छह विजेताओं की विजयों के वृत्तांतों से भरे पड़े हैं।

पश्चिमी साहित्य में इन्हें राक्षसी देवता और शैतानी सेना के अधिपति के रूप में संदर्भित किया गया है। ये छह ईरान में पूजे जाने वाले प्राचीन देवता बन गए थे। मिल्टन ने चालीस वर्षों तक उनकी विजय गाथा गाई। पश्चिमी इतिहासकार संकेत देते हैं कि यह आक्रमण ईसा से लगभग दो हज़ार तीन सौ वर्ष पूर्व हुआ था। भारत के उत्तरी क्षेत्र में आर्यावर्त था, जिसमें दो राज्य शामिल थे: सौर मंडल और चंद्र मंडल। ये दोनों आर्य राज्यों के समूह थे। सौर मंडल पर मानव जाति का शासन था, जबकि चंद्र मंडल पर एल जाति का शासन था। सौर वंश ने आर्य जाति की स्थापना की, जैसे वरुण ने सुमेरियन जाति को जन्म दिया। यह सुमेरियन जाति सुमेरियन सभ्यता की पूर्वज और इराक की सबसे प्राचीन शासक थी।

प्रसिद्ध पुरातत्वविद डॉ. फ्रैंक फोर्ट और लेगडन का मानना ​​है कि सुमेरियन सभ्यता प्रोटो-एलामाइट सभ्यता का विकसित रूप है, जो यह दर्शाता है कि सुमेरियन सभ्यता प्रोटो-एलामाइट सभ्यता से उत्पन्न हुई है। महाप्रलय से पहले, दृश्य मनु के वंशज यहाँ शासन करते थे। इस क्षेत्र के राजा महाराजा अत्यारति जनंतपति थे, जो मनु के पुत्र थे। दृश्य मनु के वंश को प्रोटो-एलामाइट सभ्यता का पूर्वज माना जाता है। महाप्रलय के दौरान, मनु का पूरा वंश नष्ट हो गया, केवल कुछ ही बचे।

भारत का इतिहास (Bharat Ka Itihas)

भारत का इतिहास अत्यंत समृद्ध और विविधतापूर्ण है। यह विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक, सिंधु घाटी सभ्यता से शुरू होता है, जो लगभग 2500 ईसा पूर्व में विकसित हुई थी। इसके बाद वैदिक काल आया, जिसमें वेदों की रचना हुई और हिंदू धर्म की नींव पड़ी। मौर्य और गुप्त साम्राज्य जैसे शक्तिशाली राज्य भारत की सांस्कृतिक और राजनीतिक समृद्धि के प्रतीक रहे। मौर्य सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म को अपनाकर इसे विश्वभर में फैलाया। मध्यकाल में दिल्ली सल्तनत और मुगल साम्राज्य ने भारत पर शासन किया, जिन्होंने स्थापत्य कला, संस्कृति और प्रशासन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

18वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में अपने पांव जमाए और धीरे-धीरे भारत एक ब्रिटिश उपनिवेश बन गया। स्वतंत्रता संग्राम के महान नेताओं जैसे महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस और भगत सिंह के नेतृत्व में देशवासियों ने आज़ादी की लड़ाई लड़ी और 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ। आज भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है, जिसकी विविधता और सांस्कृतिक विरासत इसे विशिष्ट बनाती है।

आधुनिक भारत का इतिहास (Modern History Of India)

1857 की प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से प्रारंभ होता है, जिसे भारतीय स्वतंत्रता का प्रथम प्रयास माना जाता है। इसके बाद भारत में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध विभिन्न आंदोलनों की शुरुआत हुई। 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई, जिसने स्वतंत्रता संग्राम को संगठित रूप दिया। महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे अहिंसात्मक आंदोलनों ने जनता को जागरूक किया और ब्रिटिश शासन की नींव हिला दी।

इसके साथ ही भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आज़ाद जैसे क्रांतिकारियों ने सशस्त्र संघर्ष का रास्ता अपनाया। दूसरे विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन की स्थिति कमजोर हुई और भारत में स्वतंत्रता की मांग ज़ोर पकड़ने लगी। अंततः 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई और एक नया लोकतांत्रिक राष्ट्र अस्तित्व में आया। आधुनिक भारत का इतिहास स्वतंत्रता, सामाजिक सुधारों और लोकतंत्र की स्थापना की गाथा है।

History Of India And Indian National Movement

भारत का इतिहास अत्यंत प्राचीन और समृद्ध है। सिंधु घाटी सभ्यता से लेकर वैदिक काल, मौर्य, गुप्त, मुग़ल और अंततः ब्रिटिश शासन तक, भारत ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। 18वीं शताब्दी के अंत में ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन की शुरुआत हुई, जिसने धीरे-धीरे पूरे भारत पर नियंत्रण कर लिया। ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीयों में असंतोष बढ़ता गया और स्वतंत्रता की चेतना जागृत होने लगी।

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की शुरुआत 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना से मानी जाती है। शुरू में यह आंदोलन सुधारवादी था, लेकिन धीरे-धीरे इसमें क्रांतिकारी तेवर आने लगे। बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय और बिपिन चंद्र पाल जैसे नेताओं ने ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’ का नारा दिया। 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड ने पूरे देश को झकझोर दिया। इसके बाद महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे जनआंदोलन हुए।

महात्मा गांधी के अहिंसात्मक संघर्ष और लाखों स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान के परिणामस्वरूप भारत 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ। यह आंदोलन न केवल राजनीतिक स्वतंत्रता का प्रतीक था, बल्कि भारतीय जनता की आत्मा और अस्मिता का जागरण भी था।

भारत का इतिहास न केवल महान सम्राटों और युद्धों की गाथा है, बल्कि यह सांस्कृतिक विविधता, सामाजिक संघर्ष और आध्यात्मिक उन्नति की भी कहानी है। इस देश ने समय-समय पर अनेक चुनौतियों का सामना करते हुए अपनी पहचान को बनाए

 

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